खास बातें

Importance Of Directions : वास्तु शास्त्र में दिये गए नियम हमारे भाग्य को बदल सकते हैं. वास्तु दिशा का उपयोग भाग्य के अवरोध से बचाव दिलाता है. वास्तु टिप्स के अनुसार वास्तु दिशाओं में किए जाने वाले कार्य बदल सकते हैं भाग्य की दिशा.

Importance Of Directions : वास्तु शास्त्र में दिये गए नियम हमारे भाग्य को बदल सकते हैं. वास्तु दिशा का उपयोग भाग्य के अवरोध से बचाव दिलाता है. वास्तु टिप्स के अनुसार वास्तु दिशाओं में किए जाने वाले कार्य बदल सकते हैं भाग्य की दिशा.

Vastu Tips of Directions: वास्तु अनुसार कोई भी काम करते समय दिशा का ध्यान रख लिया जाए तो इसका गहरा असर व्यक्ति पर होता है. वास्तु नियम प्रत्येक दिशा के द्वारा ऊर्जाओं को प्रदान करते हैं और वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व होता है। ऎसे में वास्तु अनुसार दिशाओं का उपयोग दिला सकता है सफलता.

वास्तु दिशाऔर इससे जुड़े वास्तु नियम

वास्तु के अनुसार दिशाओं की अपनी भूमिका होती है और हर दिशा में अलग-अलग ऊर्जा पैदा होती है।वास्तु शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसमें दिशाओं की ऊर्जा महत्वपूर्ण होती है। पूर्व, उत्तर, दक्षिण, पश्चिम के अलावा कोणीय दिशाओं की गणना भी इस में आती है जिसका अपना विशेष असर भी होता है।

उत्तर पूर्व को ईशान कोण, दक्षिण पूर्व को अग्नि कोण, दक्षिण पश्चिम को नैऋत्य कोण तथा उत्तर पश्चिम को वायव्य कोण कहा जाता है तथा सम्पूर्ण वास्तु की गणना इसी आधार पर की जाती है। इसी से जुड़े सभी नियम भी प्राप्त होते हैं. इन दिशाओं का उचित रुप से किया गया उपयोग सही दिशा देने वाला होता है.

वास्तु अनुसार कौन सी दिशा है विशेष 

वास्तु अनुसार यहां हर दिशा का महत्व है। हर दिशा ग्रह, दिशा के स्वामी और ब्रह्मांड की ऊर्जा से प्रभावित होती है। शास्त्रों के माध्यम से समझाया गया है कि दिशाओं को शुभ पवित्र बनाए रखना चाहिए। पूर्व दिशा का स्वामी ग्रह सूर्य है और देवता इंद्र हैं। यह दिशा अच्छे स्वास्थ्य, बुद्धि और समृद्धि की सूचक है, इसलिए जब आप भवन निर्माण करें तो पूर्व दिशा का कुछ हिस्सा खुला छोड़ दें। नियम के अनुसार, इस स्थान को थोड़ा नीचे रखना चाहिए ताकि आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता रहे। अगर यह दिशा खराब हो तो सिरदर्द और हृदय रोग जैसी बीमारियां होती हैं।

पश्चिम दिशा का स्वामी ग्रह शनि है और देवता वरुण हैं यह दिशा सफलता और प्रसिद्धि को दर्शाती है। अगर घर के मालिक को किसी काम में सफलता नहीं मिल रही है तो आपको समझ लेना चाहिए कि घर में कोई दोष है। यह दिशा अगर खराब हो जाए तो पेट और गुप्तांगों में बीमारी होती है। उत्तर दिशा का स्वामी ग्रह बुध है और देवता कुबेर हैं। यह दिशा बुद्धि, ज्ञान और चिंतन की दिशा है।

इस दिशा से माता का भी विचार किया जाता है, इसलिए यदि आप घर में कुछ जगह खाली छोड़कर घर बनाते हैं तो यह दिशा आपके लिए शुभ रहेगी। दक्षिण दिशा का स्वामी ग्रह मंगल है और देवता यमराज हैं। यह दिशा दर्शाती है पद और प्रतिष्ठा का विचार भी इसी दिशा से किया जाता है। इस दिशा को जितना भारी और ऊंचा रखेंगे, समाज में उतना ही मान-सम्मान मिलेगा। यह शरीर की रीढ़ की हड्डी का भी कारक है। दर्पण और पानी की व्यवस्था कभी नहीं करनी चाहिए इस दिशा में।

ज्योतिष में दिशाओं का विशेष महत्व है। सभी ग्रह किसी न किसी दिशा के स्वामी होते हैं और कुंडली में जो ग्रह मजबूत होता है, उसी दिशा में कार्य करने से व्यक्ति उन्नति करता है। वास्तु के अनुसार सूर्य की रोशनी हर दिशा में अलग-अलग ऊर्जा पैदा करती है। ऐसे में अगर हम कोई भी काम करते समय दिशाओं का ध्यान रखें तो फायदा होगा। वरना बिना जाने गलत दिशा में काम करने से नुकसान भी हो सकता है।

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